छिन्द्वाणा, मप.
सवार गाव और पंडोना गाव के बीच में नदी किनारे पे एक अंधविश्वास की प्रथा के कारण सर साल कई लोग घायल होती है .
ये परम्परा सालो से चली आ रही है.
इस परंपरा में सर साल दोनों गाव अपने किनारो पर पत्थर इक्क्ठा कर लेते है. फिर दोनों गाव एक दूसरे पर पत्थर फेंखते है |
इस परम्परा मैं अभी तक १३ लोगो की मृत्यु हो चुकी है | और हज़ारो लोग घायल हो चुके है.
प्रसासन ने कई बार इस परम्परा को बंद करने की कोशिश की , परन्तु वहा के लोग के विरोध में आ गए |
इस खतरनाक मेने का नाम गोटमार मेला है . इस मेले मैं एक गाव के लोग नदी के किनारे एक वृक्ष रख देते है.
और दूसरे गाव के लोग उसे ले जाने की कोशिश करते है. और पत्थर बाज़ी शुरू हो जाती है |
सवार गाव और पंडोना गाव के बीच में नदी किनारे पे एक अंधविश्वास की प्रथा के कारण सर साल कई लोग घायल होती है .
ये परम्परा सालो से चली आ रही है.
इस परंपरा में सर साल दोनों गाव अपने किनारो पर पत्थर इक्क्ठा कर लेते है. फिर दोनों गाव एक दूसरे पर पत्थर फेंखते है |
इस परम्परा मैं अभी तक १३ लोगो की मृत्यु हो चुकी है | और हज़ारो लोग घायल हो चुके है.
प्रसासन ने कई बार इस परम्परा को बंद करने की कोशिश की , परन्तु वहा के लोग के विरोध में आ गए |
इस खतरनाक मेने का नाम गोटमार मेला है . इस मेले मैं एक गाव के लोग नदी के किनारे एक वृक्ष रख देते है.
और दूसरे गाव के लोग उसे ले जाने की कोशिश करते है. और पत्थर बाज़ी शुरू हो जाती है |